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"अपना होना / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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अपना होना
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ख़ूब रहा उदास
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कहीं कोई रोशनी नहीं
 
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हर सिम्त बेआस
 
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इस बेआस दिनों में
 
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खुद को जाना
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ख़ुद को जाना
 
अपने होने को पहचाना
 
अपने होने को पहचाना
1994
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रचनाकाल : 1994
 
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11:37, 6 जून 2010 के समय का अवतरण

कई दिन गुज़रे
ख़ूब रहा उदास
कहीं कोई रोशनी नहीं
हर सिम्त बेआस

इस बेआस दिनों में
ख़ुद को जाना
अपने होने को पहचाना

रचनाकाल : 1994