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"हमारा समय / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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हमारा समय
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सबसे क्रूरतम मुहावरा है
 
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1994
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रचनाकाल : 1994
 
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11:38, 6 जून 2010 के समय का अवतरण

खिड़कियाँ खटखटाई जा रही हैं
हम नहीं सुनते

दरवाज़े भड़भड़ाए जा रहे हैं
हम नहीं खुलते

लोग हर सिम्त मारे जा रहे हैं
हम नहीं उठते

इंसानियत का बरतन खाली धरा है
मरते हुए जीना
हमारे समय का
सबसे क्रूरतम मुहावरा है

रचनाकाल : 1994