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"बस गवैया / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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यात्रियों को लुभा सके उसकी आवाज़
 
यात्रियों को लुभा सके उसकी आवाज़
 
निकलें गीत पेट से उसके
 
निकलें गीत पेट से उसके
आओ बंधु दुआ करें
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आओ बंध!  दुआ करें
  
 
रचनाकाल : 1991
 
रचनाकाल : 1991
 
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11:46, 6 जून 2010 का अवतरण

चलती बस की खड़ी भीड़ में
देखो बच्चा चूमता है
चूमता है दोनों हाथ
चूमता शीशे की पट्टियाँ
सूखा गला साफ़ करता है
होठों पर जीभ फिराता है
वह शुरू करेगा अब कोई गीत

दिन भर वह गा सके मधुरतम
यात्रियों को लुभा सके उसकी आवाज़
निकलें गीत पेट से उसके
आओ बंध! दुआ करें

रचनाकाल : 1991