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"बर्फ को पिघलने दो / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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बातचीत चलने दो, | बातचीत चलने दो, | ||
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दर्द का तकाजा है, | दर्द का तकाजा है, | ||
− | आँख को मचलने दो | + | आँख को मचलने दो । |
कुछ सितारे चमकेंगे, | कुछ सितारे चमकेंगे, | ||
− | आफ़ताब ढलने दो | + | आफ़ताब ढलने दो । |
ओस का करो स्वागत, | ओस का करो स्वागत, | ||
− | टार को तो गलाने दो | + | टार को तो गलाने दो । |
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11:30, 11 जून 2010 का अवतरण
बातचीत चलने दो,
बर्फ़ को पिघलने दो ।
दर्द का तकाजा है,
आँख को मचलने दो ।
कुछ सितारे चमकेंगे,
आफ़ताब ढलने दो ।
ओस का करो स्वागत,
टार को तो गलाने दो ।