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"मिले तो सही / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

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12:57, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

धोरों की पाल पर
सलफलाती घूमती है
जहरी बांडी
मिलता नहीं कहीं भी
मिनख का जाया ।
भले ही
हो सपेरा
मिले तो सही
कहीं
माणस की गंध ।