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"काँच की सुर्ख़ चूड़ी / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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03:35, 14 जून 2010 का अवतरण

काँच की सुर्ख़ चूड़ी
मेरे हाथ मेम
आज ऐसे कनकने लगी है
जैसे कल रात शबनम में लिक्खी हुई
तेरे हाथ की शोख़ियों को
हवाओं ने सुर दे दिया हो