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{{KKRachna
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=रहमतों की बारिश / परवीन शाकिर{{KKCatNazm}}<poem>कायनात के ख़ालिक़ <ref>दुनिया का बनाने वाला</ref>
देख तो मेरा चेहरा
 
आज मेरे होठों पर
 
कैसी मुस्कुराहट है
 
आज मेरी आँखों में
 
कैसी जगमगाहट है
 
मेरी मुस्कुराहट से
 
तुझको याद क्या आया
 
मेरी भीगी आँखों में
 
तुझको कुछ नज़र आया
 
इस हसीन लम्हे को
 
तू तो जानता होगा
 इस समय की अज़मत <ref>महिमा</ref> को 
तू तो मानता होगा
 
हाँ, तेरा गुमाँ सच्चा है
 
हाँ, कि आज मैंने भी
 
ज़िन्दगी जनम दी है !
{{KKMeaning}}ख़ालिक़=दुनिया का बनाने वाला; अज़मत=महिमा</poem>
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