भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तसल्ली / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=रहमतों की बारिश / परवीन शाकि…)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:58, 16 जून 2010 के समय का अवतरण

अब जब मैं अपने आप पे
शहर-ए-वफ़ा का हर दरवाज़ा
अपने हाथों बंद कर आई,
और उनमें हर एक की चाबी
सब्ज़ आँखों वाले निस्यान<ref>विस्मृति</ref> के सर्द समंदर में फेंक आई हूँ
डरा-डरा-सा ये एहसास भी
कितनी ठंडक देता है
ज़िंदां<ref>क़ैदख़ाना</ref> की ऊँची दीवार से दूर
पुराने शहर की एक छोटी-सी गली में
एक दरीचा
मेरे नाम पे भी खुला रहेगा


शब्दार्थ
<references/>