भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गूँज / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=रहमतों की बारिश / परवीन शाकि…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:17, 16 जून 2010 के समय का अवतरण
ऊँचे पहाड़ों में गुम होती पगडंडी पर
खड़ा हुआ नन्हा चरवाहा
बकरी के बच्चे को फिसलते देख के
कुछ इस तरह हँसा है
वादी की हर दर्ज़<ref>दरार</ref> से झरने फूट रहे हैं
शब्दार्थ
<references/>