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"हल्ला बोल... / महाराज सिंह परिहार" के अवतरणों में अंतर

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भ्रष्टाचार पर हल्ला बोल
टनाचार पर हल्ला बोल
मैं कहता हूँ ज़ोर से बोल
हल्ला बोल, हल्ला बोल

जो समता के रहे विरोधी
उस प्रवृत्ति पर हल्ला बोल
सपनों में भरमाया जिसने
उस नेता पर हल्ला बोल

अर्थों में बेचा शब्दों को
उस लेखक पर हल्ला बोल
गुलशन मसला जिन हाथों ने
उस माली पर हल्ला बोल

करे जो शोषण मज़दूरों का
उस शोषक पर हल्ला बोल
गन्दा करते जो मंचों को
उन कवियों पर हल्ला बोल