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"समय / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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02:47, 17 जून 2010 के समय का अवतरण

समय निकल जाता है झटपट,
समय कभी नहीं रुकता है ।
थक जाते हैं जीव जगत के,
समय कभी नहीं थकता है ।

समय की इज़्ज़त करना सीखें,
समय बड़ा बलवान है ।
जो समझेगा समय की कीमत,
जग में उसकी शान है ।।