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"एक मुश्किल सवाल / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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11:33, 17 जून 2010 के समय का अवतरण

टाट के पर्दों के पीछे से
एक बारह-तेर साला चेहरा झाँका
वह चेहरा
बहार के फूल की तरह ताज़ा था
और आँखें
पहली मौहब्बत की तरह शफ़्फ़ाक़
लेकिन उसके हाथ में
तरकारी काटते रहने की लकीरें थीं
और उन लकीरों में
बर्तन माँझने वाली राख जमी थी
उसके हाथ
उसके चेहरे से बीस साल बड़े थे ।