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"सच सूर्य है / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
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+ | '''क्यों मरोगे'''<br /><br /><br />सच कहोगे<br />सच के सिवा कुछ न कहोगे<br />जानते हो <br />सच सूर्य है<br />कहोगे तो जल मरोगे<br /><br />सच के सिवा <br />सब कुछ कहोगे<br />जानता हूं<br />नाहक क्यों मरोगे।<br /><poem> |
22:24, 21 जून 2010 का अवतरण
क्यों मरोगे
सच कहोगे
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे
सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।
सच कहोगे
सच के सिवा कुछ न कहोगे
जानते हो
सच सूर्य है
कहोगे तो जल मरोगे
सच के सिवा
सब कुछ कहोगे
जानता हूं
नाहक क्यों मरोगे।