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"दुःख के धागे / मलय" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मलय }} {{KKCatKavita‎}} <poem> चेहरे पर बिखरे हुए दुःख के धागे ग…)
 
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21:52, 24 जून 2010 के समय का अवतरण

चेहरे पर बिखरे हुए
दुःख के धागे
गोया लिखी काली रेखाएँ
धुआँ-सी

धँसी आँखों में दिखता-देखता
चमकता प्रकाश
मेरी जुबान पर तैर आया
आग का स्वाद
स्वाद आग का!