भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धुआँ / मीना चोपड़ा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ::उठता है ::…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:45, 4 जुलाई 2010 का अवतरण
उठता है
मिट्टी के अन्तःकरण से
वह धुआँ धुआँ
क्यों है ?
मिट्टी जो मेरी
हथेली से लगकर
बदल जाती थी
एक ऐसे क्षण में
जिसका न कोई आदि था
न ही अन्त!
उसी मिट्टी से जो
उठता है आज
वह धुआँ क्यों है?