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"भीड़ के समुन्दर में / हरीश भादानी" के अवतरणों में अंतर
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15:17, 4 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
भीड़ के समुन्दर में
बचाव के उपकरण पहने
न रहूं
गोताखोर सी एकल इकाई
उतरता चला जाऊं
अत्लान्त में समाने
टकरा जाऊं तो लगे
भीतर दर्प की चट्टान दरकी है
इतेने बड़े आकार में
इतनी ही हो पहचान मेरी।