भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खतरा / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी |संग्रह =चुनी हुई कविताएँ / लीलाधर जगूड…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:17, 9 जुलाई 2010 का अवतरण
जनता के मन में जो जंगल है बिना पक्षियों का
उससे कुछ ही देर बाद
चीख़ की एक लहर फ़ैलने वाली है ।