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"बोध / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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कटु यथार्थ भोग रहा  हूं
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कितना सच हैं--
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सतत चढाव से सीमाबद्ध
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यह जैविक अवसान
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यह पतन
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यह बोध
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यह उन्माद!

17:05, 9 जुलाई 2010 का अवतरण


   बोध
 
महास्वप्न की
वृत्ताकार जीवनमयता में
ठोस वायव अस्तित्त्व का
कटु यथार्थ भोग रहा हूं

कितना सच हैं--
सतत चढाव से सीमाबद्ध
यह जैविक अवसान
यह पतन
यह बोध
यह उन्माद!