भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कहाँ हो तुम / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुणा राय }} {{KKCatKavita}} <poem> ओ मेरी रोशनी की टिमटिम बूँ…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:20, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
ओ मेरी रोशनी की टिमटिम बूँद
खोई सी धडकन मेरी
कहाँ हो तुम
कि यह चाँद, पेड
मौसम में बची हल्की-सी खुनक
इस बारे में
कोई मदद नहीं कर पा रही मेरी
कि इस वक्त मेरा मन
बहुत हल्का हो रहा है
कि जैसे वही वजूद हो मेरा
कि जैसे मैं होऊँ ही नहीं
तो मैं
कहाँ हूँ इस वक़्त
और इस आधी रात को जागते
ओ मेरे मंदराग
तू कहाँ है
किस दिशा को गुँजा रहे हो ।