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"कहाँ हो तुम / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुणा राय }} {{KKCatKavita‎}} <poem> ओ मेरी रोशनी की टिमटिम बूँ…)
 
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10:20, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

ओ मेरी रोशनी की टिमटिम बूँद
खोई सी धडकन मेरी
कहाँ हो तुम

कि यह चाँद, पेड
मौसम में बची हल्‍की-सी खुनक
इस बारे में
कोई मदद नहीं कर पा रही मेरी
कि इस वक्‍त मेरा मन
बहुत हल्‍का हो रहा है
कि जैसे वही वजूद हो मेरा
कि जैसे मैं होऊँ ही नहीं

तो मैं
कहाँ हूँ इस वक़्त

और इस आधी रात को जागते
ओ मेरे मंदराग
तू कहाँ है
किस दिशा को गुँजा रहे हो ।