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"कवि गोष्ठी में / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | हर कविता में तुम थीं | + | हर कविता में |
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− | तुम्हारी चोली | + | चुप-चुप दबी-ढकी |
− | मुखर | + | तुम्हारी चोली पर उछली |
+ | होकर मुखर बहुत. | ||
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21:08, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
हर कविता में
तुम थीं
चुप-चुप दबी-ढकी
तुम्हारी चोली पर उछली
होकर मुखर बहुत.