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"मन भर आया / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
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मेंहदी रचाए हाथों में | मेंहदी रचाए हाथों में | ||
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छिदवाए कान नाक | छिदवाए कान नाक | ||
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गर्मी से चिपचिपाती देह पर | गर्मी से चिपचिपाती देह पर | ||
ढोए मन भर | ढोए मन भर |
07:22, 17 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
बनाए आँख सुरमेदानी
मेंहदी रचाए हाथों में
पैरों में / वह भी
छिदवाए कान नाक
पहने झुमके-नथनी
गर्मी से चिपचिपाती देह पर
ढोए मन भर
बनारसी बंगलूरी साड़ी
सँवरते-बनते
पोर-पोर पिराए दर्द से
उसका भी
हँस -हँस कर रीझों से
अपने नाम लिखा जो
उसके लिए सोचा भी
तो मन भर आया