भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कर्मनाशा / संतोष मायामोहन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>मैं नाहना चाहती हूं कर्मनाशा नदी में, मैं धोना चाहती हूं अपने स…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | < | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=संतोष मायामोहन | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
+ | मैं नहाना चाहती हूँ | ||
कर्मनाशा नदी में, | कर्मनाशा नदी में, | ||
− | मैं धोना चाहती | + | मैं धोना चाहती हूँ |
अपने सभी - | अपने सभी - | ||
पाप और पुण्य - | पाप और पुण्य - | ||
− | मैं बनना चाहती | + | मैं बनना चाहती हूँ - |
मनुष्य | मनुष्य | ||
− | और देखना चाहती | + | और देखना चाहती हूँ - |
अपने भीतर की | अपने भीतर की | ||
मानवता । | मानवता । |
01:46, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
मैं नहाना चाहती हूँ
कर्मनाशा नदी में,
मैं धोना चाहती हूँ
अपने सभी -
पाप और पुण्य -
मैं बनना चाहती हूँ -
मनुष्य
और देखना चाहती हूँ -
अपने भीतर की
मानवता ।
अनुवाद : नीरज दइया