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अस्वीकरण
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वर्तमान / संतोष मायामोहन
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,
20:20, 19 जुलाई 2010
महीने भर का राशन
और हर महीने दोहराती है
यही
...
कि यही बात ।
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
</poem>
अनिल जनविजय
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