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"हत्भाग्य / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
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गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
 
बहरा सराह रहा है
 
बहरा सराह रहा है
 
सजी सभा में
 
सजी सभा में
पंगुल पांव सहला कर बोला -
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पंगुल पाँव सहला कर बोला -
मैं नाचूंगा
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मैं नाचूँगा
अंधा आगे आया
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अँधा आगे आया
 
कड़क कर बोला -
 
कड़क कर बोला -
 
तुमने ठेका ले रक्खा है
 
तुमने ठेका ले रक्खा है
 
मुझे भी तो देखने दो !
 
मुझे भी तो देखने दो !
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कलाकार !
 
कलाकार !
लो, संभालो तुम्हारी कलम !
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लो, सँभालो तुम्हारी क़लम !
  
 
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
 
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
 
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09:13, 20 जुलाई 2010 का अवतरण

गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
बहरा सराह रहा है
सजी सभा में
पंगुल पाँव सहला कर बोला -
मैं नाचूँगा ।

अँधा आगे आया
कड़क कर बोला -
तुमने ठेका ले रक्खा है
मुझे भी तो देखने दो !

कलाकार !
लो, सँभालो तुम्हारी क़लम !

अनुवाद : मोहन आलोक