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"बीजूका : एक अनुभूति / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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09:15, 20 जुलाई 2010 का अवतरण
सिर नहीं
है सिर की जगह
औंधी रखी हंडिया
देह -
लाठी का टुकड़ा
हाथों की जगह पतले डंडे
वस्त्र नहीं है ख़ाकी
फिर भी
क्या मजाल किसी की
एक पत्ता भी चर ले कोई
तुम्हारे होते !
अनुवाद : नीरज दइया