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10:29, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
जब भी तुम देखो-
सख़्त, ठोस, बिल्कुल खिंचा हुआ
चेहरा...
जान लेना-
उसके भीतर
थरथर काँपता
कातर प्राण है ।