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"उधेड़बुन / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर
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00:34, 2 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
वह जड़ है या चेतन ?
उधेड़बुन में पड़ा था मैं
इस तथ्य से अपरिचित कि
इनके अलावा एक और भी है कोटि :
जीवित पत्थर !
फिर क्यों न मैं कहता,
धड़क रही बिटिया से-
राम, राम !
सालिगराम !