भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खाल के नीचे / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजित कुमार |संग्रह=घोंघे / अजित कुमार }} {{KKCatKavita}} <poem> …)
(कोई अंतर नहीं)

12:00, 2 अगस्त 2010 का अवतरण

संकट के क्षण में
सियाही खड़े कर लेटी है अपने काँटे,
गुबरैला छोड़ता है दुर्गन्ध,
बिल्ली गुर्राकर फैलाती है पंजे...

इतनी हिंसा है जग में,
इतने ज़्यादा ख़तरे !
काश !
नाख़ून की एक पतली-सी झिल्ली
ढक सकती मुझे भी...
सख़्त, निर्मम इरादों,
क्रूर ठंडी निगाहों,
लगातार प्रहारों से कुछ तो बच पाता !