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"पहाड़ और पहाड़ / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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12:10, 2 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

नदियाँ बहाकर ले गई थीं
पहाड़ और धरती का
जो चूना रसायन और नमक
समुद्र में,
कीड़ों ने खाया उन्हें,
पचाया उन्हें
और उत्पादन शुरू किया
नमक, रसायन और चूने का
अपने ही तन से ।

क्या पता
यह प्रकृति का एक और सन्तुलन हो
कि उधर गलते रहें पहाड़
खड़े धरती के शीश पर...

इधर चलते रहें पहाड़
टिके घोंघों की पीठ पर ।