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"पूर्णमदः / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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हर बदल रहा आकार
मेरी अंजुलि में
आना चाहिए
विराट हुआ करे कोई
उसे मेरी इच्छा में
समाना चाहिए !