भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उपस्थिति / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजित कुमार |संग्रह=घोंघे / अजित कुमार }} {{KKCatKavita}} <poem> …)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:15, 3 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

सीपी को चुन लिया तुमने
अपनी आँख के लिए :
अहा ! सीपी-सी उजली ।

और शंख ?
-शुभ्र ग्रीवा !

फिर भला घोंघा ही पीछे क्यों रहता !

घोंघा भी था वहीं,
आसपास ही कहीं-
कभी सीने में सिमटता,
कभी सर में सरकता ।