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"सुरक्षा-1 / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर
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पाते हैं जिनको हम
बहुधा
अरक्षित,
होते हैं कभी-कभी
केवल वे
सुरक्षित ।
देखो न !
आहट मिलते ही
दुबक गया अपने कवच में वह
घाघ ।