भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बचाव / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजित कुमार |संग्रह=घोंघे / अजित कुमार }} {{KKCatKavita}} <poem> …)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:45, 3 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

ज़िंदगी ढकी रही
जब तक
उसके बचने की आशा थी
तभी तक ।

ज्यों ही वह उघरी,
-थोड़ी-सी उभरी-
बस,
गुडुम-गुडुप-गड़ाप...
फिर गहरी स्तब्धता ।