भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँधी / जय छांछा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जय छांछा |संग्रह= }} Category:नेपाली भाषा {{KKCatKavita‎}} <Poem> ओ, …)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:18, 8 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

ओ, मेरी प्रियतमा!
मेरी आँखों का प्रथम विश्रामालय है तुम्हारा चेहरा
मीठे पकवान का कारखाना है तुम्हारी नज़र
अधिक क्या कहूँ
मेरी खुशी का अव्वल स्रोत है तुम्हारी मुस्कान ।

मेरी प्रिये
लोरी जैसी ही लगती है तुम्हारी बोली
आकर्षक नृत्य जैसी ही लगती है तुम्हारी चाल
विश्वास करो
सबसे अच्छा लगता है मुझे
लज्जावती झाड़ की तरह
लजाने वाली तुम्हारी अदा ।
इसीलिये तो तुम सूर्य
और खुद सूरजमुखी फूल होने की
मीठी आभास की आँधी
सदा-सदा बहती है मेरे अंदर।

मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला