भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"स्मरण / अमृता भारती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमृता भारती |संग्रह=मन रुक गया वहाँ / अमृता भारत…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:04, 13 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
स्मरण-
तब कोई न रहता पास
बस वह
उसका अहसास ।
मैं बाहर आ जाती
अरण्य में
अचानक उग आए
चाँद की तरफ़
या
अन्दर चली जाती
जहाँ
पत्थर से उमग कर
बह रही होती
कोई छोटी-सी जलधार ।
स्मरण
कितना अकेला कर देता
मुझे
उसके साथ ।