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"चाँदनी चुपचाप सारी रात / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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मैं दम साधे रहा
 
मैं दम साधे रहा
मन मेम अलक्षित
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मन में अलक्षित
 
आँधी मचती रही ।
 
आँधी मचती रही ।
  

02:28, 23 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

चाँदनी चुपचाप सारी रात-
सूने आँगन में
जाल रचती रही ।

मेरी रूपहीन अभिलाषा
अधूरेपन की मद्धिम-
आँच पर तचती रही ।

व्यथा मेरी अनकही
आनन्द की सम्भावना के
मनश्चित्रों से परचती रही ।

मैं दम साधे रहा
मन में अलक्षित
आँधी मचती रही ।

प्रात बस इतना कि मेरी बात
सारी रात
उघड़ कर वासना का
रूप लेने से बचती रही ।