भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आँसू बहाकर / दिनेश सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= दिनेश सिंह |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Poem> दर्द के हम भगीरथ …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:20, 28 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
दर्द के हम भगीरथ
तप-बल बढ़ाकर
नदी का उत्सव बने
आँसू बहाकर
उजाले की शक्ल में
पसरा अँधेरा
इसी करतब पर
हुआ है यह सवेरा
अर्घ्य देते सूर्य को
गंगा नहाकर
यह प्रवाहित जल
हमारी ज़िन्दगी है
सतह पर जिसके
अबाधित गंदगी है
जी रहे
उच्छिप्ट को सपना बनाकर
शक्तिपीठों के शिखर
पुल बांध जाएँ
एक बिजलीघर
उसी पर साध जाएँ
खड़े खंभे गड़े
गहराई थहाकर