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"पहला दिन मेरे आषाढ़ का / नईम" के अवतरणों में अंतर
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− | + | |प्रकाशक=आलेख प्रकाशन, वी-8, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 | |
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− | + | * [[नन्हा मुन्ना बसंत]] | |
− | + | * [[जीवन भर]] | |
− | + | * [[सगुनपाखी जा बसे]] | |
− | + | * [[ठीक सत्र से पहले]] | |
− | + | * [[पुरवाई के ताने]] | |
− | + | * [[धूप तापते आँगन]] | |
− | + | * [[स्वपन टूटते रहे]] | |
+ | * [[मछली-मछली पानी दे]] | ||
+ | * [[आसों के सूरज हों]] | ||
+ | * [[बहस रहे हैं]] | ||
+ | * [[दिन ये ज़ोर-ज़बरदस्ती के]] | ||
+ | * [[तुमने वस्त्र भिगोए]] | ||
+ | * [[रात खाई में पड़ी है]] | ||
+ | * [[दूर से आते ठहाके]] | ||
+ | * [[आओ हम पतवार]] | ||
+ | * [[आकाशे मँडराते]] | ||
+ | * [[सुबह-शाम हम]] | ||
+ | * [[चौके की बोली से हटकर]] | ||
+ | * [[प्रिया हो गई खाँटी गृहणी]] | ||
+ | * [[ससुरे सुनें, सुनें जामाता]] | ||
+ | * [[अंतरंग से ख़ारिज]] | ||
+ | * [[गाली से क्या कम है]] | ||
+ | * [[टेसू आज प्रसंग हुए हैं]] | ||
+ | * [[जिह्वा पर सरस्वती]] | ||
+ | * [[ढेर सारे प्रश्न पूछे आपने]] | ||
+ | * [[आप मेरी पूछते क्यों]] | ||
+ | * [[सेमलों-से भाई ओ]] | ||
+ | * [[लिखना तो चाहा था]] | ||
+ | * [[कहाँ हैं वे पाँव]] | ||
+ | * [[नागर दिन हो न सके]] | ||
+ | * [[दुर्योधन : सुयोधन उवाच]] | ||
+ | * [[ग़लत हाथ के हथियारों ने]] | ||
+ | * [[अक्षर-अक्षर बाँचूँ]] | ||
+ | * [[दीवारों पर खूँटी]] | ||
+ | * [[लिखकर रख छोड़े हैं]] | ||
+ | * [[बिरहा सुबुक-सुबुक रोए है]] | ||
+ | * [[शाम वाली डाक से ख़त]] | ||
+ | * [[अब नहीं लगती निबौली]] | ||
+ | * [[कोशिशें हुई जातीं रेत]] | ||
+ | * [[एक नदी]] | ||
+ | * [[धुँधले प्रतिबिंब]] | ||
+ | * [[काँव-काँव करती]] | ||
+ | * [[एक पथ पर जो मिला]] | ||
+ | * [[एक भाव, सही दाम]] | ||
+ | * [[प्यार के प्रतीक बंधु]] | ||
+ | * [[पहला दिन मेरे आषाढ़ का (नवगीत)]] | ||
+ | * [[फूले-फले दिन]] | ||
+ | * [[जाने कब बौराए आम]] | ||
+ | * [[याद तुम्हारी आती]] | ||
+ | * [[आज के बाद]] | ||
+ | * [[आदमी क्यों आज]] | ||
+ | * [[आज अपने आपसे]] | ||
+ | * [[चाँद बेतुका-सा लगता]] | ||
+ | * [[कल तक जो फूली थी]] | ||
+ | * [[किसे आज दोषी ठहराएँ]] | ||
+ | * [[ये हैं नखलिस्तानी]] | ||
+ | * [[आज बहुत महँगा है मरना]] | ||
+ | * [[चूँ-चुनाँचे...अगर-मगर..]] | ||
+ | * [[हिलीं मसीतें, मंदिर हिलते]] | ||
+ | * [[अपनों से, अपने ही बरबस]] | ||
+ | * [[जबसे होश संभाले हमने]] | ||
+ | * [[लटके हुए अधर में जब दिन]] | ||
+ | * [[सुबह गए थे]] | ||
+ | * [[कतई ज़रूरी नहीं]] | ||
+ | * [[किसे... फेर दिनों का]] | ||
+ | * [[लाजिमी तो नहीं था]] | ||
+ | * [[अच्छी तरह याद है मुझको]] | ||
+ | * [[भीड़-भाड़ में]] | ||
+ | * [[कल तक जो सूखी थी]] | ||
+ | * [[हाँ, बबूल में]] | ||
+ | * [[किसे शिकायत नहीं]] | ||
+ | * [[मौसम से ज़्यादा बेमौसम]] | ||
+ | * [[आठों पहर, महीनों, बरसों]] | ||
+ | * [[नोटिस या वारंट न आया]] | ||
+ | * [[मन ये हुमक रहा गाने को]] | ||
+ | * [[मेरे ख़त बस ख़त होते हैं]] | ||
+ | * [[रूपमती सी रेवा]] | ||
+ | * [[बाजबहादुर-रूपमती]] | ||
+ | * [[हो न सका जो]] | ||
+ | * [[लगने जैसा लिखा नहीं कुछ]] | ||
+ | * [[चौपाटी, चौराहों पर]] | ||
+ | * [[चलो कहीं सतपुड़ा]] | ||
+ | * [[शील सतपुड़ा-से]] | ||
+ | * [[हुआ करे है]] | ||
+ | * [[भूल-चूक की मुआफ़ी चाहूँ]] | ||
+ | * [[कंधों पर सिर लिए हुए हम]] | ||
+ | * [[वो ओढ़े बगुलों सी उजली]] | ||
+ | * [[सुर्ख़ गुलाबों जैसे]] | ||
+ | * [[मुद्दत हुई, न किया-धरा कुछ]] | ||
+ | * [[ऋतुओं के अनुक्रम ही सारे]] | ||
+ | * [[हार की ग़ज़लें बहुत परवाज़]] | ||
+ | * [[रंजोग़म के साथ चिंताएँ सहेजे]] | ||
+ | * [[टुकड़े-टुकड़े आसमान]] | ||
+ | * [[पूछ रहे हो क्यों ग़ैरों से]] | ||
+ | * [[बिना बात के यूँ ही]] | ||
+ | * [[रह गए परदेश में]] | ||
+ | * [[कहने की बातें ही बातें]] | ||
+ | * [[भरे पेट को पानी]] | ||
+ | * [[लौट आ ओ मूर्खता]] | ||
+ | * [[दिख रहे हैं लोग यूँ]] | ||
+ | * [[रक्त सनी हों सुबहें जिनकी]] | ||
+ | * [[कुछ न कुछ तो करना होगा]] | ||
+ | * [[अगर चितरते रहे चाव से]] | ||
+ | * [[मार रही हैं लोकवेद को]] | ||
+ | * [[किसको कहाँ बताने जाएँ]] | ||
+ | * [[ऐसी क्या मजबूरी]] | ||
+ | * [[जीवित के तो न्याय, धरम]] | ||
+ | * [[अधबने, आधे-अधूरे]] | ||
+ | * [[लुट गई इज़्ज़त]] | ||
+ | * [[भैंस मरे पर घर भर रोए]] | ||
+ | * [[ताज़िरात की धाराओं में]] | ||
+ | * [[चिट्ठी-पत्री, ख़तो-किताबत]] | ||
+ | * [[ये सुनने के लिए अप्रस्तुत]] | ||
+ | * [[वेदवाक्य होना था]] | ||
+ | * [[आज महाजन के पिंजरे में]] | ||
+ | * [[कैसे-कैसे मौसम आए]] | ||
+ | * [[पाँव पूजते थे कल तक जो]] | ||
+ | * [[रेशम की साड़ी]] | ||
+ | * [[किनके हाथों में डफली दूँ]] | ||
+ | * [[बार-बार लिख-लिखकर काटे]] | ||
+ | * [[आवत-जात पनहियाँ टूटी]] | ||
+ | * [[नानक की पत्तल]] | ||
+ | * [[कैसे ये सोने]] | ||
+ | * [[न जाने वतन आज क्यों]] | ||
+ | * [[जिनकी अपनी पूँजी न कोई]] | ||
+ | * [[सुनो हो भितरिया जी]] | ||
+ | * [[चलो चलें दो-चार क़दम]] | ||
+ | * [[हाथ मार ले गए बहुत-कुछ]] | ||
+ | * [[ढो रहे हम]] | ||
+ | * [[आप आए तो आइए भीतर]] | ||
+ | * [[कोरे शबद उचारे संतो]] | ||
+ | * [[किस कदर खलने लगे हैं]] | ||
+ | * [[दूसरों पर हँस लिए]] | ||
+ | * [[रखे हुए माथे पर महादेश]] | ||
+ | * [[अब तक नहीं लगाए हमने]] | ||
+ | * [[अंतस को आँटे बिना]] | ||
+ | * [[आइए पढ़ आएँ चलकर]] | ||
+ | * [[रात की शक्ले]] | ||
+ | * [[जन्म पर आयोग]] | ||
+ | * [[बाजबहादुर सधे नहीं गर]] | ||
+ | * [[पार गए तो पौबारह हैं]] | ||
+ | * [[ऐसे साँचे रहे नहीं अब]] | ||
+ | * [[ऐसा भी कोई दिन होगा]] | ||
+ | * [[मिला नहीं अवकाश]] | ||
+ | * [[भौंक-भौंक कर चुप हो जाते]] | ||
+ | * [[एक शाम ऐसी भी कोई]] | ||
+ | * [[सही नाम लेने में]] | ||
+ | * [[नमन जुहारों]] | ||
+ | * [[मेरा पता छोड़कर]] | ||
+ | * [[विरल होते जा रहे]] | ||
+ | * [[ज़रा-ज़रा सी बातों को ले]] | ||
+ | * [[इन अँधेरे-उजालों के बीच]] | ||
+ | * [[चलो चलें उस पार कबीरा]] | ||
+ | * [[चला रहे तीरों का एवज़]] | ||
+ | * [[दिन अहीर भैरव गाए है]] | ||
+ | * [[अलिफ़ सुलगते हुए दिनों के]] | ||
+ | * [[उलझे हुए हिसाब मिले दिन]] | ||
+ | * [[आठ पहर का दाझणा]] | ||
+ | * [[कोस-कोस पर रोटी-पानी]] | ||
+ | * [[कहीं अशोक, कदंब कहीं पर]] | ||
+ | * [[धौरी आसों हुई न गाभिन]] | ||
+ | * [[काशी साधे नहीं सध रही]] | ||
+ | * [[जीवन को जीने की ज़िद में]] | ||
+ | * [[आप अधूरों की कहते]] | ||
+ | * [[क्या कहेंगे लोग]] | ||
+ | * [[कल तक थे जो भरे-भरे]] | ||
+ | * [[पानी बाबा आया]] | ||
+ | * [[पानी दे]] | ||
+ | * [[असुरों से तो जीत गए रण]] | ||
+ | * [[रात महुए सी]] | ||
+ | * [[लिखना तो चाहे थे टेसूवन]] | ||
+ | * [[भाषा के घिसे-पिटे]] | ||
+ | * [[भीतर से बाहर ही चलो]] | ||
+ | * [[एक भूली बात-सी]] | ||
+ | * [[ठेठ सूनापन बकुल सा]] | ||
+ | * [[आर-पार भीतर बाहर से]] | ||
+ | * [[एक छाप चेहरे पर अंकित]] | ||
+ | * [[आसमान में चीलें उड़तीं]] | ||
+ | * [[रह गई माँ क्षीण क्षिप्रा-सी]] | ||
+ | * [[दामन को मल-मलकर धोया]] |
17:11, 6 सितम्बर 2010 का अवतरण
पहला दिन मेरे आषाढ़ का
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रचनाकार | नईम |
---|---|
प्रकाशक | आलेख प्रकाशन, वी-8, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 2004 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत |
विधा | |
पृष्ठ | 192 |
ISBN | 81-8187-085-9 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- नन्हा मुन्ना बसंत
- जीवन भर
- सगुनपाखी जा बसे
- ठीक सत्र से पहले
- पुरवाई के ताने
- धूप तापते आँगन
- स्वपन टूटते रहे
- मछली-मछली पानी दे
- आसों के सूरज हों
- बहस रहे हैं
- दिन ये ज़ोर-ज़बरदस्ती के
- तुमने वस्त्र भिगोए
- रात खाई में पड़ी है
- दूर से आते ठहाके
- आओ हम पतवार
- आकाशे मँडराते
- सुबह-शाम हम
- चौके की बोली से हटकर
- प्रिया हो गई खाँटी गृहणी
- ससुरे सुनें, सुनें जामाता
- अंतरंग से ख़ारिज
- गाली से क्या कम है
- टेसू आज प्रसंग हुए हैं
- जिह्वा पर सरस्वती
- ढेर सारे प्रश्न पूछे आपने
- आप मेरी पूछते क्यों
- सेमलों-से भाई ओ
- लिखना तो चाहा था
- कहाँ हैं वे पाँव
- नागर दिन हो न सके
- दुर्योधन : सुयोधन उवाच
- ग़लत हाथ के हथियारों ने
- अक्षर-अक्षर बाँचूँ
- दीवारों पर खूँटी
- लिखकर रख छोड़े हैं
- बिरहा सुबुक-सुबुक रोए है
- शाम वाली डाक से ख़त
- अब नहीं लगती निबौली
- कोशिशें हुई जातीं रेत
- एक नदी
- धुँधले प्रतिबिंब
- काँव-काँव करती
- एक पथ पर जो मिला
- एक भाव, सही दाम
- प्यार के प्रतीक बंधु
- पहला दिन मेरे आषाढ़ का (नवगीत)
- फूले-फले दिन
- जाने कब बौराए आम
- याद तुम्हारी आती
- आज के बाद
- आदमी क्यों आज
- आज अपने आपसे
- चाँद बेतुका-सा लगता
- कल तक जो फूली थी
- किसे आज दोषी ठहराएँ
- ये हैं नखलिस्तानी
- आज बहुत महँगा है मरना
- चूँ-चुनाँचे...अगर-मगर..
- हिलीं मसीतें, मंदिर हिलते
- अपनों से, अपने ही बरबस
- जबसे होश संभाले हमने
- लटके हुए अधर में जब दिन
- सुबह गए थे
- कतई ज़रूरी नहीं
- किसे... फेर दिनों का
- लाजिमी तो नहीं था
- अच्छी तरह याद है मुझको
- भीड़-भाड़ में
- कल तक जो सूखी थी
- हाँ, बबूल में
- किसे शिकायत नहीं
- मौसम से ज़्यादा बेमौसम
- आठों पहर, महीनों, बरसों
- नोटिस या वारंट न आया
- मन ये हुमक रहा गाने को
- मेरे ख़त बस ख़त होते हैं
- रूपमती सी रेवा
- बाजबहादुर-रूपमती
- हो न सका जो
- लगने जैसा लिखा नहीं कुछ
- चौपाटी, चौराहों पर
- चलो कहीं सतपुड़ा
- शील सतपुड़ा-से
- हुआ करे है
- भूल-चूक की मुआफ़ी चाहूँ
- कंधों पर सिर लिए हुए हम
- वो ओढ़े बगुलों सी उजली
- सुर्ख़ गुलाबों जैसे
- मुद्दत हुई, न किया-धरा कुछ
- ऋतुओं के अनुक्रम ही सारे
- हार की ग़ज़लें बहुत परवाज़
- रंजोग़म के साथ चिंताएँ सहेजे
- टुकड़े-टुकड़े आसमान
- पूछ रहे हो क्यों ग़ैरों से
- बिना बात के यूँ ही
- रह गए परदेश में
- कहने की बातें ही बातें
- भरे पेट को पानी
- लौट आ ओ मूर्खता
- दिख रहे हैं लोग यूँ
- रक्त सनी हों सुबहें जिनकी
- कुछ न कुछ तो करना होगा
- अगर चितरते रहे चाव से
- मार रही हैं लोकवेद को
- किसको कहाँ बताने जाएँ
- ऐसी क्या मजबूरी
- जीवित के तो न्याय, धरम
- अधबने, आधे-अधूरे
- लुट गई इज़्ज़त
- भैंस मरे पर घर भर रोए
- ताज़िरात की धाराओं में
- चिट्ठी-पत्री, ख़तो-किताबत
- ये सुनने के लिए अप्रस्तुत
- वेदवाक्य होना था
- आज महाजन के पिंजरे में
- कैसे-कैसे मौसम आए
- पाँव पूजते थे कल तक जो
- रेशम की साड़ी
- किनके हाथों में डफली दूँ
- बार-बार लिख-लिखकर काटे
- आवत-जात पनहियाँ टूटी
- नानक की पत्तल
- कैसे ये सोने
- न जाने वतन आज क्यों
- जिनकी अपनी पूँजी न कोई
- सुनो हो भितरिया जी
- चलो चलें दो-चार क़दम
- हाथ मार ले गए बहुत-कुछ
- ढो रहे हम
- आप आए तो आइए भीतर
- कोरे शबद उचारे संतो
- किस कदर खलने लगे हैं
- दूसरों पर हँस लिए
- रखे हुए माथे पर महादेश
- अब तक नहीं लगाए हमने
- अंतस को आँटे बिना
- आइए पढ़ आएँ चलकर
- रात की शक्ले
- जन्म पर आयोग
- बाजबहादुर सधे नहीं गर
- पार गए तो पौबारह हैं
- ऐसे साँचे रहे नहीं अब
- ऐसा भी कोई दिन होगा
- मिला नहीं अवकाश
- भौंक-भौंक कर चुप हो जाते
- एक शाम ऐसी भी कोई
- सही नाम लेने में
- नमन जुहारों
- मेरा पता छोड़कर
- विरल होते जा रहे
- ज़रा-ज़रा सी बातों को ले
- इन अँधेरे-उजालों के बीच
- चलो चलें उस पार कबीरा
- चला रहे तीरों का एवज़
- दिन अहीर भैरव गाए है
- अलिफ़ सुलगते हुए दिनों के
- उलझे हुए हिसाब मिले दिन
- आठ पहर का दाझणा
- कोस-कोस पर रोटी-पानी
- कहीं अशोक, कदंब कहीं पर
- धौरी आसों हुई न गाभिन
- काशी साधे नहीं सध रही
- जीवन को जीने की ज़िद में
- आप अधूरों की कहते
- क्या कहेंगे लोग
- कल तक थे जो भरे-भरे
- पानी बाबा आया
- पानी दे
- असुरों से तो जीत गए रण
- रात महुए सी
- लिखना तो चाहे थे टेसूवन
- भाषा के घिसे-पिटे
- भीतर से बाहर ही चलो
- एक भूली बात-सी
- ठेठ सूनापन बकुल सा
- आर-पार भीतर बाहर से
- एक छाप चेहरे पर अंकित
- आसमान में चीलें उड़तीं
- रह गई माँ क्षीण क्षिप्रा-सी
- दामन को मल-मलकर धोया