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18:51, 7 सितम्बर 2010 का अवतरण

तरह-तरह के विज्ञापन के कपड़ों से ढका हुआ हाथी
भिक्षा नहीं माँगेगा किसी से
वो चलेगा अपनी मस्त चाल से
बतलाता हुआ, शहर में ये चीज़ें भी मौजूद हैं
जिन्हें पहुँचाया जा सकता है
घर तक मिनटों में ।

वह बढ़ता है सड़क के दोनों ओर स्थित पेड़ों के बीच से
अपना खाना चुराता हुआ ।
महावत को गर्व है
नहीं जाना पड़ेगा उसे घर-घर माँगने
भीड़ भरी सडक़ों पर करता रहेगा वह यात्राएँ
और कौतूहलवश लोग उसे देखते रहेंगे

धीरे-धीरे दरें भी बढ़ती जाएँगी
और हाथी अक्सर दिखाई देते रहेंगे
जंगल छोडक़र सड़कों पर
यह उनका अच्छा उपयोग है ।