"आज ही होगा / बालकृष्ण राव" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
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त्यौहार का दिन आज ही होगा ! | त्यौहार का दिन आज ही होगा ! | ||
− | उमंगें यूँ अकारण ही नहीं | + | उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं, |
− | न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन ; | + | न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन; |
− | खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के | + | खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के |
बढ़ा पग- | बढ़ा पग- | ||
− | मूर्ति के | + | मूर्ति के शृंगार का दिन आज ही होगा ! |
− | न जाने आज | + | न जाने आज क्यों दिल चाहता है- |
स्वर मिला कर | स्वर मिला कर | ||
− | अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार! | + | अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार ! |
न जाने क्यूँ | न जाने क्यूँ | ||
− | बिना पाए हुए भी दान याचक मन , | + | बिना पाए हुए भी दान याचक मन, |
− | विकल है | + | विकल है व्यक्त करने के लिए आभार ! |
− | कोई तो, | + | कोई तो, कहीं तो |
− | प्रेरणा का | + | प्रेरणा का स्रोत होगा ही- |
− | उमंगें यूँ अकारण ही नहीं | + | उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं, |
− | नदी में बाढ़ आई है | + | नदी में बाढ़ आई है कहीं पानी गिरा होगा ! |
− | अचानक | + | अचानक शिथिल-बंधन हो रहा है आज |
− | + | मोक्षासन बंदी मन - | |
− | किसी की तो | + | किसी की तो कहीं कोई भगीरथ-साधना पूरी हुई होगी, |
− | किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का | + | किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का दिन आज ही होगा ! |
मनाना चाहता है आज ही ? | मनाना चाहता है आज ही ? | ||
-तो मान ले | -तो मान ले | ||
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21:59, 18 सितम्बर 2010 का अवतरण
मनाना चाहता है आज ही ?
-तो मान ले
त्यौहार का दिन आज ही होगा !
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं,
न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन;
खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के
बढ़ा पग-
मूर्ति के शृंगार का दिन आज ही होगा !
न जाने आज क्यों दिल चाहता है-
स्वर मिला कर
अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार !
न जाने क्यूँ
बिना पाए हुए भी दान याचक मन,
विकल है व्यक्त करने के लिए आभार !
कोई तो, कहीं तो
प्रेरणा का स्रोत होगा ही-
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं,
नदी में बाढ़ आई है कहीं पानी गिरा होगा !
अचानक शिथिल-बंधन हो रहा है आज
मोक्षासन बंदी मन -
किसी की तो कहीं कोई भगीरथ-साधना पूरी हुई होगी,
किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का दिन आज ही होगा !
मनाना चाहता है आज ही ?
-तो मान ले
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