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"जाति का भूत / पूनम तुषामड़" के अवतरणों में अंतर

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18:05, 24 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

मेरी बिटिया
अक्सर - पूछा करती है
मां हमारी कास्ट क्या है?
मैं इस प्रश्न में
उलझ जाती हूं
चाहकर भी
नहीं बता पाती हूं।
मैं सच कहने की
ताकत रखती हूं
पर फिर भी चुप हो जाती हूं
ऐसा नहीं कि -
डरती हूं मैं सिर्फ सतर्क हूं
मेरी ही तरह
सतर्क रहते हैं
कितने ही माता-पिता
जो जानते हैं
जाति बताने पर
त्याग दिये जाते हैं इंसान
नहीं मिलता उन्हें
स्कूलों-कालेजों
और दफ्तरों में
सम्मान।
नहीं समझा जाता उन्हें
दोस्ती के लायक
नहीं समझा जाता उन्हें
उच्च पदों के लायक
सदा ही समझा जाता है -
नीच, घृणित, लांछित
अध्यापक भी तरेरते हैं आंखे
विद्यार्थी भी करते हैं छूत
इस तरह समाज में
मंडराता रहता है
हर जगह
कुत्सित, कुटिल यह
जाति का भूत।