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"अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रने वाला है / शहरयार" के अवतरणों में अंतर
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15:47, 26 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रनेवाला है
वो शक्ल तो कब से ओझल है ये ज़ख़्म भी भरनेवाला है
दुनिया से बग़ावत करने की उस शख़्स से उम्मीदें कैसी
दुनिया के लिए जो ज़िन्दा है दुनिया से जो डरने वाला है
आदम की तरह आदम से मिले कुछ अच्छे-सच्चे काम करे
ये इल्म अगर हो इंसाँ को कब कैसे मरने वाला है
दरिया के किनारे पर इतनी ये भीड़ यही सुनकर आई
इक चाँद बिना पैराहन के पानी में उतरने वाला है