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"अपने ख़्वाबों को सजाकर / चित्रा सिंह" के अवतरणों में अंतर

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21:34, 26 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

अपने ख़्वाबों को सजाकर
दुनिया की हाट में
जिस दिन सीख जाऊँगी
बोली लगवाना

उसी दिन से मिल जाए
शायद मुझे निजात

पर तब कहाँ बचेगा मेरा घर ?
मैं भी कहाँ बच पाऊँगी शायद...।