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"उनका हरेक बयान हुआ / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर

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जब से हरी वर्दी पहनी
 
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ये दिल हिन्दुस्तान हुआ
 
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''{दैनिक हिन्दुस्तान}''</poem>

12:28, 28 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

उनका एक बयान हुआ
दंगे का सामान हुआ

कातिल का जब भेद खुला
हाकिम मेहरबान हुआ

कोना-कोना चमके घर
वो जबसे मेहमान हुआ

बस्ती ही तो एक जली
ऐसा क्या तूफ़ान हुआ

प्यास बुझी जब सूरज की
दरिया इक मैदान हुआ

उनका एक इशारा भी
रब का ज्यूँ फ़रमान हुआ

जब से हरी वर्दी पहनी
ये दिल हिन्दुस्तान हुआ

{दैनिक हिन्दुस्तान}