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"माँ के हाथ / मक्सीम तांक" के अवतरणों में अंतर

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10:14, 1 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

उन्हें चूमा धरती ने
अपने रेतीले होंठों
और बालियों से ।
आकाश ने उन्हें चूमा
गरमी, हवा और बारिश से ।

उनकी पारदर्शी ताज़गी का बड़ा इच्छा छिना
धागों ने
उनींदी रातों में ।
धागों ने न जाने
कितनी रोशनियों को राख किया
और कितने तारों को ।

उन काली और गहरी झुर्रियों की
आसान नहीं है गिनती करना
गो हमारी यात्राओं ने
उन पर चिन्ह छोड़े हों ।

यह सिर्फ़ तभी होता है
जब हम एक साथ होते हैं
जब मेज़ पर माँ अपने हाथ रखती है
हमारे घर और हृदय में
उजाला हो जाता है जैसे धूप से ।

रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह