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"काश / अमरजीत कौंके" के अवतरणों में अंतर

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12:24, 10 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

मेरा प्यार
तुम पर
इस तरह बरसता है
जैसे किसी पत्थर पर
लगातार
कोई झरना
गिरता है

काश !
तुम्हें कभी
बारिश में
किसी वृक्ष की भाँति
भीगने की
कला आ जाए ।


मूल पंजाबी से हिंदी में रूपांतर : स्वयं कवि द्वारा