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"लड़ते हुए सिपाही का गीत / ब्रजमोहन" के अवतरणों में अंतर
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लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे | लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे | ||
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हारना है मौत, तुम जीत बनो रे | हारना है मौत, तुम जीत बनो रे | ||
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फूलों से खिलना सीखो, पंछी से उड़ना | फूलों से खिलना सीखो, पंछी से उड़ना | ||
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पेड़ों की छाँव बनके धरती से जुड़ना | पेड़ों की छाँव बनके धरती से जुड़ना | ||
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पर्वत से सीखो, कैसे चोटी पर चढ़ना | पर्वत से सीखो, कैसे चोटी पर चढ़ना | ||
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गेहूँ के दानों-सी प्रीत बनो रे | गेहूँ के दानों-सी प्रीत बनो रे | ||
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जब बैठे-बैठे आँखें भर आएँ दुख से | जब बैठे-बैठे आँखें भर आएँ दुख से | ||
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फिर सोचना, दिन कैसे बीतेंगे सुख से | फिर सोचना, दिन कैसे बीतेंगे सुख से | ||
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दुख की लकीरें मिट जाएंगी मुख से | दुख की लकीरें मिट जाएंगी मुख से | ||
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सूरज-सा उगने की रीत बनो रे | सूरज-सा उगने की रीत बनो रे | ||
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माथे पर छलके भाई! जब भी पसीना | माथे पर छलके भाई! जब भी पसीना | ||
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इक पल हवाओं के भी होठों पर जीना | इक पल हवाओं के भी होठों पर जीना | ||
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तब देखना रे ! कैसे फूलेगा सीना | तब देखना रे ! कैसे फूलेगा सीना | ||
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सीने में धड़के जो, संगीत बनो रे | सीने में धड़के जो, संगीत बनो रे | ||
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12:53, 19 अक्टूबर 2010 का अवतरण
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
हारना है मौत, तुम जीत बनो रे
फूलों से खिलना सीखो, पंछी से उड़ना
पेड़ों की छाँव बनके धरती से जुड़ना
पर्वत से सीखो, कैसे चोटी पर चढ़ना
गेहूँ के दानों-सी प्रीत बनो रे
जब बैठे-बैठे आँखें भर आएँ दुख से
फिर सोचना, दिन कैसे बीतेंगे सुख से
दुख की लकीरें मिट जाएंगी मुख से
सूरज-सा उगने की रीत बनो रे
माथे पर छलके भाई! जब भी पसीना
इक पल हवाओं के भी होठों पर जीना
तब देखना रे ! कैसे फूलेगा सीना
सीने में धड़के जो, संगीत बनो रे