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"मुझे नास्तिक जो बताते / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'" के अवतरणों में अंतर
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21:37, 20 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
मुझे नास्तिक जो बताते
चलो आदमी तो बताते
उठाते हैं कुरआनो गीता
मगर झूठ सच को बताते
बचाते है दामन वो अपना
ख़तावार मुझ को बताते
जो टकराए अंधे से कोई
सभी अंधा उस को बताते
किशन ने जो की उस को लीला
मगर चोर मुझ को बताते
वो अपनी वफ़ा को टटोले
हमें बेवफ़ा जो बताते
मै मेहमान कहता हूँ उन को
वो मेहमान मुझ को बताते
'यक़ीन' अपने दिल पर नहीं
फ़रेबी जहाँ को बताते