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− | + | समय ने जब भी अधेंरो से दोस्ती की है<br> | |
− | + | जला के हमने अपना घर रोशनी की है<br> | |
− | + | सुबूत हैं मेरे घर में धुएं के ये धब्बे<br> | |
+ | अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है। | ||
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− | कविता कोश में [[ | + | कविता कोश में [[गोपालदास "नीरज"]] |
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00:12, 14 जून 2008 का अवतरण
एक काव्य मोती | |
समय ने जब भी अधेंरो से दोस्ती की है |