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वृक्ष हों भले खड़े, हो घने, हो बड़े, <br>
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समय ने जब भी अधेंरो से दोस्ती की है<br>
एक पत्र-छॉंह भी मॉंग मत, मॉंग मत, मॉंग मत! <br>
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जला के हमने अपना घर रोशनी की है<br>
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!<br>
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सुबूत हैं मेरे घर में धुएं के ये धब्बे<br>
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अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।
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कविता कोश में [[हरिवंशराय बच्चन]]
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कविता कोश में [[गोपालदास "नीरज"]]
 
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00:12, 14 जून 2008 का अवतरण

 एक काव्य मोती
Pearl.jpg

समय ने जब भी अधेंरो से दोस्ती की है
जला के हमने अपना घर रोशनी की है
सुबूत हैं मेरे घर में धुएं के ये धब्बे
अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।
कविता कोश में गोपालदास "नीरज"