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सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, <br>
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कैसे आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता,<br>
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा।
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एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ।
 
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कविता कोश में [[बशीर बद्र]]
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कविता कोश में [[दुष्यंत कुमार]]
 
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01:01, 28 जून 2008 का अवतरण

 एक काव्य मोती
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कैसे आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ।

कविता कोश में दुष्यंत कुमार